Jaipur: ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज कोलेबोरेशन में हाल ही में विश्व विख्यात लेन्सेट जर्नल में तीन शोध प्रकाशित किए हैं. जिनके अनुसार 15 से 24 वर्ष की उम्र के तंबाकू के सेवन करने वालों की संख्या में पूरे विश्व में दुर्भाग्य से भारत दूसरे नंबर पर है. यह संख्या 2 करोड़ है.
1990 के बाद 2019 तक के युवा लड़कों में सर्वाधिक भारत में देखी गई. वर्ष 2019 में ह्दयघात से 17 लाख, फेफडों की बीमारी से 16 लाख व तंबाकू जनित कैंसर से 10 लाख लोग मृत्यु का शिकार हुए. यह कहना है भगवान महावीर कैंसर रिसर्च सेंटर और हॉस्पिटल में वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ निधि पाटनी का.
डॉ निधि ने बताया कि बदलती जीवनशैली और वातावरण में मौजूद विशाक्त कणों के कारण आज के समय में कैंसर जैसी बीमारी तेजी से सामने आ रही है. कैंसर बीमारी के कई कारण है इनमें से एक प्रमुख कारक तंबाकू है. नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च (NICPR) के अनुसार, भारत में करीब 35 फीसदी वयस्क तंबाकू का सेवन करते है.
वहीं, युवा वर्ग में भी इसका आकंड़ा 30 फीसदी तक पहुंच चुका है. तंबाकू में चार हजार तरह के कैमिकल मौजूद होते हैं जिसमें कई कैंसर कारक कैमिकल भी शामिल है. इन कैमिकल में निकोटिन नामक मुख्य कैमिकल मौजूद होता है जिसका सेवन करने पर व्यक्ति शारीरिक और मानसिक तौर पर इस कैमिकल का आदी हो जाता है.
एनआईसीपीआर के अनुसार भारत में मौजूद कैंसर रोगियों में से पुरूषों में 45 फीसदी और महिलाओं में 17 फीसदी कैंसर तंबाकू की वजह से होते है. इनमें भी मुंह के कैंसर के रोगियों में 80 फीसदी तंबाकू की आदत के चलते इस रोग की गिरफ्त में आते हैं.
गुटखा और तंबाकू सेवन बहुत की कम समय में मुंह, गले, जीभ आदि का कैंसर करते हैं. राजस्थान राज्य में एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो तंबाकू का सेवन करता है.
तंबाकू से होने वाले कैंसर के अलावा प्रमुख कैंसर-
- मुंह का कैंसर
- गले का कैंसर
- स्वर नलिका का कैंसर
- फेफडे़ का कैंसर
- गर्भाषय ग्रीवा का कैंसर
- भोजन नली, पेट व आंतों का कैंसर
- मूत्राषय का कैंसर
- प्रोस्टेट का कैंसर
- तंबाकू से होने वाले अन्य रोग
- हदय रोग
- स्ट्रोक से लकवा आदि होना
- दांत व मसूड़ों के रोग
- एसिडिटी
- गर्भस्थ शीशु का क्षीण विकास
- प्रजनन क्षमता में कमी
- त्वचा का लचिलापन कम होना व बालों का झड़ना.
इस तरह होता है तंबाकू का उपयोग
- दंत मंजन
- बीड़ी
- सिगरेट
- खैनी
- गुटखा, पान मसाले का उपयोग
- पैसिव स्मोकिंग (घर या कार्यस्थल पर मौजूद लोग जो धुम्रपान करते है, उनके सिगरेट का धुंआ आसपास वाले व्यक्ति के फेफडे़ तक पहुंचता है।)
तंबाकू जनित कुछ मुख्य कैंसर की पहचान
- मुंह और गले का कैंसर.
- छाला या घाव होना.
- बेवजह दांत ढ़ीले होना.
- निगलने में कठिनाई.
- आवाज में परिवर्तन.
- फेफडों के कैंसर.
- लंबे समय तक खांसी का ठीक ना होना.
- सांस फूलना.
- खांसी के साथ खून आना.
- सीने में दर्द.
- आवाज में बदलाव.
- भोजननली व पेट का कैंसर
- खाना खाने के बाद पेट का ज्यादा फूला हुआ महसूस होना.
- खाना निगलने में दिक्कत होना.
- सीने में जलन महसूस होना.
- पाचन कार्य सही तरह से ना होना.
- उल्टी आना, उल्टी में खून आना.
कैंसर का प्रभाव
- कैंसर के बाद शारीरिक कष्ट के साथ ही मानसिक और आर्थिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है.
- उपचार लम्बा और मंहगे होने के कारण रोगी उपचार ना करनवाने का निर्णय भी ले लेता है.
- बीमारी से पहले नशे पर पैसा खर्च होता है और बीमारी के बाद उससे कई गुना खर्च उपचार पर होता है.
- रोगी के साथ-साथ पूरा परिवार इस रोग की पीड़ा को झेलता है.
जीवनशैली में लाए यह बदलाव
- तंबाकू और इसके अन्य उत्पादों से दूरी बनाए रखें नियमित रूप से व्यायाम करें.
- भोजन में फल और सब्जियों की मात्रा को बढाएं और बाजार का खाना कम से कम खाएं.
- अगर आपके परिवार का कोई भी सदस्य या साथी ध्रुमपान करता है तो उसकी आदत को छुडवाएं, अन्यथा उस व्यक्ति के ध्रुमपान का नकारात्मक प्रभाव उसके साथ-साथ आप पर भी पड़ेगा.