लखनऊ: राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख चौधरी अजीत सिंह के निधन के बाद अब उनके सियासी उत्तराधिकारी के के लिए मंगलवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. रालोद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक में आज जयंत चौधरी की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी हो गई. सर्वसम्मति से उन्हें पार्टी का नेता चुन लिया गया.
जयंत चौधरी ने अध्यक्ष पद संभालते ही संयुक्त किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कार्यकर्ताओं से बुधवार को इसमें बड़ी संख्या में भाग लेने का आह्वान किया है. सरकार से मांग की है कि किसानों से वार्ता कर समस्या का जल्द कोई हल निकाले.
लखनऊ में पार्टी मुख्यालय में पहले स्व.चौधरी अजीत सिंह को श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान पार्टी के सभी 34 सदस्य वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए जुड़े थे. राष्ट्रीय लोकदल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में जयंत चौधरी के नाम पर मुहर लगा दी. इन सभी ने पार्टी अध्यक्ष को लेकर अपनी-अपनी राय दी. 11 बजे से शुरु हुई इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सभी सभी 34 सदस्यों ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर अपनी राय दी.
ये होगी चुनौती
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट राजनीति का केंद्र बागपत को माना जाता रहा है. चौधरी चरण सिंह से लेकर चौधरी अजित सिंह तक ने अपने इस दुर्ग को मजबूत बनाए रखा था, लेकिन मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से यह पूरी तरह से बिखर गया. बीजेपी के उभार के बाद यहां हालात पूरी तरह से बदले हैं. बीजेपी यहां से सतपाल सिंह और संजीव बालियान जैसे जाट नेताओं को स्थापित करने में सफल रही.
मुजफ्फरनगर क्षेत्र में संजीव बालियान ने जिस तरह संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी बने चौधरी अजित सिंह को मात दी, उससे भी आरएलडी की साख को बट्टा लगा है. इतना ही नहीं, जयंत चौधरी को भी बागपत में मात मिली. ऐसे में अब जयंत चौधरी को दोबारा से अपनी सियासत को मजबूती से खड़ा करना है तो अपने जाट समुदाय को दोबारा से आरएलडी के साथ जोड़ने की चुनौती होगी.
पश्चिम यूपी में आरएलडी जाट और मुस्लिम समीकरण के सहारे किंगमेकर की भूमिका अदा करती रही है, लेकिन 2013 में मुजफ्फरनगर दंगे के बाद आरएलडी का यह समीकरण पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है. जाट और मुस्लिम अलग-अलग खड़े नजर आ रहे हैं, लेकिन किसान आंदोलन के बाद पश्चिम यूपी में एक बार फिर दोनों समुदाय एक साथ खड़े दिखे हैं. ऐसे में जयंत चौधरी को अपने पिता और दादा की सियासी विरासत को बचाए रखने के लिए जाट-मुस्लिम समीकरण को साधकर रखना होगा, क्योंकि पश्चिम यूपी में यह दोनों ही समुदाय काफी अहम भूमिका में है.
पहली बार पिता के बिना की बैठक
बता दे कि चौधरी अजित सिंह ने 1999 में राष्ट्रीय लोकदल का गठन किया था. वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. इस समय पार्टी में उपाध्यक्ष जयंत चौधरी के अलावा आठ राष्ट्रीय महासचिव, 14 सचिव, तीन प्रवक्ता और 11 कार्यकारिणी सदस्यों समेत 37 पदाधिकारी हैं. 15 साल के अपने राजनीतिक जीवन में जयंत पिता के बिना पहली बार कोई बैठक की.
WATCH LIVE TV