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नई दिल्ली: Indian Railways पूरी दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. जनसंख्या को देखते हुए रेलवे का इतना फैला हुआ होना तो लाजमी है. इसी वजह से देश में रेलवे स्टेशनों की कुल संख्या भी 7,349 है. इन स्टेशनों पर रोजाना करोड़ों की तादाद में लोग एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं. क्योंकि लोग ट्रेन को सबसे सफर का सबसे आसान जरिया मानते हैं. यह आरामदायक होने के साथ ही सस्ती भी है. 

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अगर हम एक राज्य से दूसरे राज्य के लिए ट्रेन का सफर चुनते हैं तो बीच में कई छोटे-बड़े स्टेशन देखते हैं. स्टेशन जैसे कानपुर सेंट्रल, गाजियाबाद जंक्शन, आनंद विहार टर्मिनल, आदि. इन सबमें कुछ खास टर्म्स हैं- जंक्शन, टर्मिनल और सेंट्रल. ये स्टेशंस की कैटेगरी होती है, लेकिन इनमें अंतर क्या है इसपर ज्यादा लोग गौर नहीं करते. आइए हम बताते हैं इनमें अंतर…

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क्या होता है सेंट्रल?
अगर किसी रेलवे स्टेशन पर शहर के नाम के साथ ‘सेंट्रल’ लिखा है, तो समझ जाइए कि वह शहर का सबसे पुराना और प्रमुख स्टेशन है. यह स्टेशन शहरभर के ट्रांसपोर्ट का भी केंद्र होता है. यानी यहां पर बाकी स्टेशनों के मुकाबले ज्यादा सेवाएं मिलती हैं. यह शहर के सबसे व्यस्त स्टेशन होते हैं और एरिया में भी काफी बड़े. सेंट्रल स्टेशंस पर देशभर के बड़े शहरों से ट्रेनें आती हैं. यानी सेंट्रल स्टेशन के जरिए ही बड़े शहरों को एक दूसरे से जोड़ा जाता है. 

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क्या होता है जंक्शन?
जंक्श वह स्टेशन है, जहां पर दो या उससे ज्यादा रूट निकलते हैं. यानी ट्रेन कम से कम एक साथ दो रूट से आ या जा सकती है. उदाहरण के तौर पर दिल्ली जंक्शन को ले लीजिए. यहां से दिल्ली शाहदरा, सब्जी मंडी, सदर बाजार और दिल्ली किशनगंज रेलवे स्टेशन के लिए रूट जाते हैं. ये स्टेशन आगे जाकर दूसरे शहरों से मिलते हैं. सबसे ज़्यादा रूट्स वाला जंक्शन मथुरा का है. यहां से 7 रूट निकलते हैं. सेलम जंक्शन से 6, विजयवाड़ा और बरेली जंक्शन से 5 रूट.

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क्या होता है टर्मिनल?
टर्मिनल और टर्मिनस शब्द का एक ही मायना है. ध्यान दें, अगर किसी स्टेशन के आगे कोई रेलवे लाइन नहीं है, तो उसे टर्मिनल या टर्मिनस कहा जाता है. इसका मतलब यह होता है कि उस स्टेशन पर पहुंचने के बाद ट्रेन उससे आगे नहीं जा सकती. यानी टर्मिनल रेलवे स्टेशन से चलने वाली ट्रेनें सिर्फ एक ही दिशा से आती और जाती हैं और उसी दिशा में जाती हैं. आनंद विहार टर्मिनल या लोकमान्य तिलक टर्मिनल इसी का उदाहरण है.

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