Gaya: गया के कोविड डेडिकेटेड अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रामपुर थाना क्षेत्र के 32 वर्षीय युवक आशुतोष कुमार को पिछले 25 अप्रैल को कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था.
आशुतोष कोरोना से पीड़ित था. कोरोना से जंग लड़ते-लड़ते आखिरकार आशुतोष हार गया और 4 मई को इलाज के दौरान अस्पताल में ही उसकी मौत हो गई. अस्पताल प्रशासन के द्वारा मेडिकल पर्ची पर दर्ज मोबाइल नंबर पर इसकी जानकारी दी गई. लेकिन, मौत की सूचना के बावजूद आशुतोष का कोई परिजन शव लेने तक नहीं पहुंचा.
अस्पताल प्रशासन के द्वारा 48 घंटे तक शव को अस्पताल के मोर्चरी में रखा गया. 2 दिनों तक जब शव को लेने कोई परिजन नहीं पहुंचा तो अस्पताल प्रशासन ने पहल करते हुए एम्बुलेंस से शव को शहर के विष्णुपद स्थित श्मशान घाट भेजा.
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इसके बाद गया नगर निगम के कर्मियों के द्वारा अंतिम संस्कार किया गया. निगम के द्वारा निःशुल्क लकड़ी व अन्य दाह संस्कार का सामग्रियों को उपलब्ध कराया गया. उस वक्त भी निगम कर्मियों को यह विश्वास था कि शायद कोई परिजन श्मशान घाट आये जो चिता में आग दे लेकिन वहां भी कोई नही आया तो निगम कर्मियों ने ही चिता में आग लगा कर अंतिम संस्कार कर दिया.
दरअसल, देश के अलग-अलग हिस्से से कोरोना महामारी के दौरान शर्मनाक खबरें सामने आ रही है. गया में यह पहला मामला नहीं है, जहां परिजन अपनों का शव लेने के लिए नहीं आए. बल्कि इस तरह की खबरें पहले भी सामने आ चुकी है.गौरतलब है कि बिहार में संक्रमण के गांव-गांव तक फैलने की वजह से स्थिति बेहद भयावह हो गई है. गुरुवार देर शाम भी 15 हजार से अधिक संक्रमण के मामले पूरे राज्य में सामने आए हैं.
(इनपुट- जय कुमार)