Nepal China Relations: नेपाल और भारत के मजबूत संबधों को कमजोर करने की साजिश के साथ-साथ नेपाल में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए चीन लगतार अपने प्रभाव को बढ़ाने में लगा हुआ है. चीन नेपाल की मीडिया, स्कूल-कालेज और नेपाल के मुख्य राजनीतिक दलों में अपना प्रभाव जमाने में लगा हुआ है जिससे वो नेपाल के लोगों में अपनी पैठ को मजबूत कर सके.

नेपाल की सीमा में चीन की तरफ से कई इलाकों में अतिक्रमण किए जाने की रिपोर्ट के बाद से नेपाली लोगों में चीन के खिलाफ बढ़ते गुस्से को कम करने के लिए बीजिंग नेपाल की मीडिया का सहारा ले रहा है. चीन अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए नेपाल के पावर सेक्टर, रक्षा क्षेत्र, इंफ्रास्ट्रचर में निवेश कर रहा है.

राजनीतिक दलों में प्रभाव किया मजबूत
ज़ी मीडिया के पास मौजूद जानकारी के मुताबिक चीन ने नेपाल के राजनीतिक दलों में अपना प्रभाव काफी मजबूत कर लिया है. नेपाल के कम्यूनिस्ट लीडरों को आए दिन चीन अपने देश में आमंत्रित करता है साथ ही नेपाल में स्थित चीनी दूतावास लगातार नेपाल के इन दलों के साथ संपर्क में बना रहता है.

जानकारों का मानना है कि चीन नेपाल में राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर अपने हक में नेपाल सरकार के फैसले को प्रभावित कर सकता है.

नेपाल के साथ रोड,रेल,एयर,इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर
चीन नेपाल के इंफ्रास्ट्रचर सेक्टर में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है. वन बेल्ट वन रोड इनेशिएटिव (One Belt One Road) के तहत नेपाल ने साल 2017 में चीन के साथ जब से जुड़ने का फैसला किया है उसके बाद से बीजिंग नेपाल के रेल सेक्टर,रोड समेत 35 प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है.

चीन नेपाल में ट्रांस हिमालयन मल्टी डाइमेशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क (Trans Himalayan Multi Dimensional Connectivity Network) प्रोजक्ट के लिए भी नेपाल सरकार से संपर्क में हैं. चीन एयर कनेक्टिविटी के लिए भी नेपाल के पोखरा में एयरपोर्ट बनवा रहा है. नेपाल और चीन के बीच इंटरनेट कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए चीन ने Kyirong-Rasuwagadhi border point के जरिए आएफसी (OFC) केबल का भी काम पूरा कर लिया है.

चीन नेपाल के साथ रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ा रहा है. पिछले कुछ सालों में चीन की तरफ से नेपाली सेना को मशीन गन्स, एंटी एयर क्राफ्ट गन,राकेट, मिलट्री ट्रक्स की भी मदद मिली है.

कई स्कूलों में चीनी भाषा का कोर्स अनिवार्य
चीन नेपाल के शैक्षणिक संस्थानों, मीडिया,सोशल सेक्टर के साथ-साथ पर्यटन के क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने में लगा हुआ है. नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि नेपाल के कई स्कूलों के पाठ्यक्रम में चीनी भाषा (Mandarin) के कोर्स को अनिवार्य कर दिया गया है.

नेपाली मीडिया में चीन का दबदबा
नेपाली मीडिया में भी चीन ने अपना प्रभाव बढ़ा लिया है नेपाल के कई अखबारों और रेडियो स्टेशन में चीन की तारीफ वाले कार्यक्रम प्रकाशित और प्रसारित किए जाते हैं. कई बार अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर नेपाली मीडिया के जरिए भारत के खिलाफ दुष्प्रचार भी किया जाता है जिसका उद्देश्य नेपाल में भारत के प्रभाव को कम करना होता है.

चीन की तरफ से नेपाल के बॉर्डर इलाकों की जमीन हड़पने की रिपोर्ट के बाद से चीन से सटे नेपाल के बॉर्डर इलाकों में रेडियो स्टेशन खोले गए हैं. नेपाल के लोगों में चीन के खिलाफ बढ़ती नाराजगी को दूर करने के लिए इन रेडियो स्टेशन के जरिए चीन की तारीफ वाले कई कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं. इन कार्यक्रमों में चीन की दुनिया भर में बढ़ते प्रभाव और उसकी सफलता से जुड़ी कहानियों को सुनाया जाता है.

नेपाली मीडिया के जरिए चीन नेपाल में बौद्ध धर्म का प्रचार और प्रसार करने में लगा है साथ ही नेपाल के लोगों को बड़ी संख्या में वीज़ा भी दे रहा है. जानकारी के मुताबिक चीन नेपाल के स्टूडेंट को बड़ी संख्या में स्कालरशिप दे रहा है जिसके तहत हर साल 100 से ज्यादा नेपाली छात्र-छात्राएं नेपाल से चीन में पढ़ाई के लिए जाते हैं.

चीन के कई एनजीओ भारत से सटे नेपाल सीमा में काफी सक्रिय हैं. नेपाल के लुंबिनी में चीन से कुछ एनजीओ सोशल वेलफेयर से जुड़े कार्यक्रम कर रहे हैं. कई बार इन एनजीओ की आड़ में चीन के जासूस भारत से जुड़े सीमावर्ती इलाकों अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. नेपाल के कुछ इलाकों में तिब्बत से आये शरणार्थी भी सालों से रह रहे हैं. चीन एनजीओ की आड़ में तिब्बती लोगों पर नजर रख रहा है.

नेपाल में चीन के पर्यटक बड़ी संख्या में नेपाल घूमने आ रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2008 में नेपाल में जहां चीन से 35,166 पर्यटक नेपाल घूमने आए थे वहीं साल 2019 में यानि कोविड से पहले 1,69,543 चीनी पर्यटक नेपाल घूमने आए. बड़ी संख्या में चीनी पर्यटक आने की वजह से नेपाल के पोखरा और थामोल जैसे कई इलाकों में चाइनाटाउन बन गए है जहां पर चीनी प्रभाव साफ देखा जा सकता है.

नेपाली जमीन पर चीनी कब्जा
नेपाल के दोलखा (Dolakha), गोरखा (Gorkha), धारचुला (Darchula), हुमला ( Humla), सिंधुपालचौक (Sindhupalchok), संखुवासभा (Sankhuwasabha) और रसूवा (Rasuwa) जिलों में चीन ने उसकी जमीन हड़प ली और नेपाल सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है.

नेपाल में जमीन के नक्शे और भूमि सर्वेक्षण करने वाले विभाग के मुताबिक चीन दोलखा स्थित अंतर्राष्ट्रीय सीमा का 1500 मीटर हिस्सा हड़प चुका है. उसने कोरलांग क्षेत्र के पिलर संख्या 57 पर अतिक्रमण किया. दरअसल ये वो इलाका है जिसकी सीमा को लेकर दोनों देशों के बीच पहले से तनाव चल रहा है और चीन की सरकार नेपाल पर इस सीमा विवाद को अपने हित में सुलझाने को लेकर पहले से दबाव बना रही थी.

चीन ने गोरखा जिले की सीमा पर पिलर नंबर 35, 37, और 38 को रिलोकेट किया है. वहीं नांपा भांजयांग में बाउंड्री पिलर 62 पर भी जमीन हड़प ली. पहले 3 पिलर गोरखा के रुई गांव और टॉम नदी के करीब थे. चीन ने 2017 में ही पूरा गांव हड़पने के साथ इस इलाके को तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र से जोड़ दिया था. हालांकि अभी तक ये गांव नेपाल के नक्शे में है और स्थानीय लोग नेपाल सरकार को ही अपना टैक्स देते हैं.

पिछले दिनों भी नेपाल के लोग चीन के उस फैसले से भी काफी नाराज थे जिसमें चीन ने कोविड के बढ़ते मामलों के चलते नेपाल से सटे अपने इलाकों में लॉकडाउन लगा दिया था और नेपाल से सटे रसुवागढी (Rasuwagadhi) और तोतापानी (Tatopani) बार्डर प्वाइंट्स को सील कर दिया था जिसकी वजह से नेपाल के सैकड़ों की संख्या में कंटेनर चीन में फंस गये थे. नेपाली मीडिया के मुताबिक चीन के इस फैसले को लेकर नेपाल के व्यापारियों में काफी गुस्सा है.

चीन ने तोता पानी बार्डर प्वाइंट को इस महीने की 10 अगस्त और रसुवागढी बॉर्डर प्वाइंट को 14 अगस्त से व्यापार के लिए बंद कर दिया था. नेपाल की व्यापारियों में बढ़ती नाराजगी के चलते नेपाल के विदेश मंत्री ने चीन से सटे इलाकों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया था

नेपाल में त्योहारों के चलते नेपाली व्यापारियों ने चीन से काफी बड़ी मात्रा में समान का आर्डर किया हुआ है जिसमें कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक सामान, फुटवेयर और खाने पीने की चीज़ें हैं. नेपाली व्यापारियों के मुताबिक चीन आए दिन कोविड के नाम पर बॉर्डर प्वाइंट को सील कर देता है, जिसकी वजह से नेपाल के लोगों को काफी दिक्कतें आती हैं.

चीन के लॉकडाउन के फैसले से नेपाल के व्यापारी दुखी
एक रिपोर्ट के मुताबिक नेपाली व्यापारियों के 300 से ज्यादा कंटेनर इन दोनों बॉर्डर प्वाइंट पर फंसे हुए हैं. नेपाल के व्यापारियों को पूरे साल इन त्योहारों का इंतजार रहता है क्योंकि इस दौरान उनकी अच्छी कमाई होती है. चीन के लॉकडाउन के फैसले से नेपाल के कई व्यापारी काफी दुखी हैं.

चीन की तरफ से बॉर्डर सील किए जाने के बाद अब नेपाल के कई व्यापारियों ने कोलकाता बॉर्डर के जरिए नेपाल में समान को आयात करने का फैसला किया है हालांकि कोलकाता पोर्ट से समान नेपाल तक लाने में दो महीने तक का वक्त लग सकता है. नेपाली लोगों का कहना है कि अगर चीन उन्हें पहले ही ये बता देता कि वो दोनों व्यापारिक बार्डर सील करने जा रहे हैं तो उन्हें कोलकाता पोर्ट से अपने कंटेनर को आयातित करवा लेते. बताया जा रहा है कि नेपाल के कितने कंटेनर चीन की तरफ फंसे हुए है उसका आधिकारिक आंकड़ा नेपाल सरकार के पास मौजूद नहीं है.

रसुवागढी (Rasuwagadhi) और तोतापानी (Tatopani) बार्डर प्वाइंट्स को आये दिन चीन की तरफ से सील किये जाने का मुद्दा अब गरमाता जा रहा है. नेपाल के विदेश मंत्रालय ने चीनी अधिकारियों से इसे लेकर कई बार बातचीत पहले भी की है. चीन का कहना है कि जैसे ही कोविड केस में कमी आएगी वो दोबारा नेपाल के लोगों के लिए अपने बॉर्डर प्वाइंट्स को खोल देगें.

नेपाल सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल और चीन के बीच व्यापार में मजबूती आई है और पिछले एक साल में इसमें 13.19 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गई है. नेपाल चीन से हर साल करीब 264.78 बिलयन नेपाली रुपये का सामान आयात करता है.

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