नई दिल्ली: आज हम आपको ये बताते हैं कि क्या संक्रमण के दौरान या संक्रमण से पहले घरेलू नुस्खे किसी तरह का फायदा पहुंचाते हैं? या ये सिर्फ मन की तसल्ली के लिए हैं? हम एक एक करके ऐसे घरेलू नुस्खों का DNA टेस्ट करेंगे, जिन पर आज कल लोग आंखें मूंद कर विश्वास कर रहे हैं और इन्हें अपने जीवन में अपना भी रहे हैं.

क्या नेबुलाइजर से बढ़ता है ऑक्सीजन लेवल?

ये दावा पूरी तरह गलत है. नेबुलाइजर (Nebulizer) थैरेपी को सांस के द्वारा सीधे फेफड़ों तक दवाई पहुंचाने के लिए सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ये तकनीक शरीर को अतिरिक्त ऑक्सीजन देने में कारगर नहीं है, और इसके गलत इस्तेमाल से जान भी जा सकती है. इसलिए अगर आप नेबुलाइजर थैरेपी ले रहे हैं तो पहले अपने डॉक्टर से जरूर इसकी सलाह लें.

नाक में नींबू की दो बूंद डालने से बढ़ता है ऑक्सीजन लेवल?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इस बात का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है. नींबू में मौजूदा विटामिन सी शरीर के लिए तो आवश्यक है, लेकिन इससे ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है इसकी कहीं कोई जानकारी नहीं है. यानी इस घरेलू नुस्खे को अपनाने से आपको लेने के देने भी पड़ सकते हैं.

संक्रमण के दौरान Paracetamol लेना कितना सही?

डॉक्टरों का कहना है कि दिनभर में पैरासिटामोल (Paracetamol) की 2 से 3 ग्राम से ज्यादा खुराक लेना खतरनाक हो सकता है. इससे बुखार बिगड़ सकता है और गलत जानकारी की वजह से मरीज अपनी जान भी बचा सकता है. इसलिए अगर मामूली लक्षण होने पर अगर आप घर पर रह कर ही अपना इलाज कर रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आपको हर समय पैरासिटामोल नहीं खानी है. बुखार नहीं उतरने पर आपको डॉक्टर से संपर्क करना है, ना कि फिर से दवाई लेनी है.

कोरोना का खात्मा करती हैं एंटीबायोटिक दवाइयां?

ये दावा भी गलत है. इस समय बहुत से लोग बिना डॉक्टर्स की सलाह के संक्रमण में एंटीबायोटिक (Antibiotic) दवाइयां ले रहे हैं. जबकि हकीकत ये है कि एंटीबायोटिक दवाइयां बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी में दी जाती हैं. लेकिन ये रोग वायरस का है. हालांकि संक्रमण के दौरान कई मरीजों में देखा गया है कि मरीज को कुछ बैक्टीरियल बीमारियां भी हो जाती हैं, और तब डॉक्टर मरीज को एंटीबायोटिक दवाएं लेने की सलाह देते हैं. इसलिए आपको भी डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी है. आपको खुद का डॉक्टर नहीं बनना है.

कपूर, अजवाइन और नीलगिरी के तेल का मिश्रण कितना कारगर?

ये नुस्खा काफी लोग अपना रहे हैं, जबकि अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी CDC के मुताबिक, ये दावा पूरी तरह गलत है. कुछ लोग कपूर और अजवाइन को रुमाल में बांध कर पेंट या कमीज की जेब में भी बांध कर रखने की सलाह दे रहे हैं ताकि ऑक्सीजन की कमी होने पर वो इसे सूंघ सकें. दावा है कि इससे ऑक्सीजन बढ़ जाती है. जबकि सच ये है कि इससे सांस लेने की नली खुली जाती है. लेकिन ऑक्सीजन का इससे कोई लेना देना नहीं है. बल्कि इसका असर भी ज्यादा देर नहीं रहता. 

प्लाज्मा से बच सकती है कोरोना मरीज की जान

ICMR का कहना है कि ऐसा नहीं है. ICMR की स्टडी में बात ये सामने आ चुकी है कि प्लाज्मा मृत्यु दर को कम करने और कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज करने में कोई खास कारगर नहीं है. लेकिन इसके बावजूद प्लाज्मा के लिए लोग अब ठीक हो चुके मरीजों का 1-1 लाख रुपये देने के लिए भी तैयार हैं. सोशल मीडिया पर इसके लिए मदद मांगने वालों की लंबी कतार है.

स्वस्थ्य शरीर में होते हैं 55% से अधिक प्लाज्मा 

एक स्वस्थ शरीर में 55 प्रतिशत से अधिक प्लाज्मा होता है. प्लाज्मा में पानी के अलावा हार्मोंस, प्रोटीन, कार्बन डाइऑक्साइड और ग्लूकोस मिनरल पाए जाते हैं. जब कोई मरीज कोरोना से ठीक हो जाता है तो उसका यही प्लाज्मा लेकर बीमार व्यक्ति को चढ़ाया जाता है. इसे ही प्लाज्मा थैरेपी कहते हैं. लेकिन ICMR का कहना है कि ये कारगर नहीं है. इसलिए आपको जागरुक रहना है.

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