नई दिल्ली: आज हम एक ऐसे वायरस का विश्लेषण करेंगे, जिससे हमारे देश में बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं. इस वायरस का नाम है अफवाह. यानी अफवाह और फेक न्यूज के वायरस ने वैक्सीन को लेकर कई लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है, और ये वायरस कोरोना का भी काम काफी आसान कर रहा है. इसे समझाने के लिए आज हम आपको उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) लेकर चलना चाहते हैं. 

अफवाह वाले संक्रमण ने लोगों को डराया

AMU को कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने काफ़ी प्रभावित किया है. इस समय अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कोरोना से बहुत ज्यादा प्रभावित है और अब तक कई प्रोफेसर, रिटायर्ड प्रोफेसर और अन्य कर्मचारियों की मौत कोरोना वायरस से हो चुकी है. पिछले 20 दिनों में यूनिवर्सिटी के 19 प्रोफेसर्स का निधन हो चुका है. समझने वाली बात ये है कि यूनिवर्सिटी में ये हाल तब है, जब वहां कोरोना टेस्टिंग की सुविधा और वैक्सीन के इंतजाम हैं. लेकिन अफवाह वाले संक्रमण ने यूनिवर्सिटी के लोगों को डराया हुआ है.

‘जो कोरोना वैक्सीन लगवाएगा मर जाएगा?’

यूनिवर्सिटी के कई प्रोफेसर और स्टाफ के बीच ये अफवाह है कि वैक्सीन लगवाने से लोगों की मौत हो रही है. दावा है कि इसी वजह से पढ़े लिखे प्रोफेसर भी वैक्सीन लगवाने से डर रहे हैं. यूनिवर्सिटी के आसपास के कुछ इलाकों में भी ये अफवाह है कि कोरोना की दूसरी लहर में लोग इसलिए मर रहे हैं क्योंकि इस लहर में लोग वैक्सीन लगवा रहे हैं. मतलब ये झूठ फैलाया गया है कि जो वैक्सीन लगवाएगा, वो मर जाएगा. इसी वजह से यूनिवर्सिटी में भी कई लोगों ने वैक्सीन नहीं लगाई. अब हमें ये जानकारी मिली है कि जिन प्रोफेसर्स की कोरोना से मृत्यु हुई है, उन्होंने भी वैक्सीन नहीं लगवाई थी. ऐसी आशंका है कि उन्हें वैक्सीन से मृत्यु होने का डर था. सोचिए अगर उन्होंने वैक्सीन लगवाई होती तो ये वैक्सीन संक्रमण होने पर उन्हें सुरक्षा देती लेकिन एक अफवाह ने कोरोना वायरस का काम आसान कर दिया.

पूरे अलीगढ़ में फैला है अफवाह वाला वायरस

हम ये बात इसलिए कह रहे हैं कि क्योंकि जब भारत में वैक्सीन ट्रायल के चरणों में थी, तब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी भी उसका हिस्सा थी. यूनिवर्सिटी में वैक्सीन पर परीक्षण हुआ था और वहां पर वैक्सीनेशन के लिए कई सेंटर्स भी बनाए गए थे. लेकिन इसके बावजूद कई प्रोफेसर्स ने वैक्सीन नहीं लगवाई. महत्वपूर्ण बात ये है कि ये अफवाह सिर्फ यूनिवर्सिटी के आसपास तक सीमित नहीं है. बल्कि अलीगढ़ के अधिकतर इलाकों में ये संक्रमण फैला हुआ है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अलीगढ़ में वैक्सीन ना लगवाने की होड़ मची हुई है. जब अलीगढ़ में टीकाकरण अभियान शुरू हुआ, तभी से लोगों में इसे लेकर कोई उत्साह नहीं है. कहा तो ये भी जा रहा है कि लोग वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते इसलिए जिले में वैक्सीनेशन सेंटर्स की संख्या भी कम करनी पड़ रही है, और इसी से आप वहां के हालात और वैक्सीन को लेकर लोगों की राय को समझ सकते हैं.

वो 2 अफवाह, जिसपर लोग कर रहे यकीन

1 क्या वैक्सीन लगवाने के कुछ दिन बाद मृत्यु हो जाती है? 

जबकि सच्चाई ये है कि वैक्सीन कोरोना से प्रोटेक्शन देती है.ये जान लेती नहीं बल्कि बचाती हैृ. जब संक्रमण होता है तो यही वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडीज के रूप में एक रक्षा कवच का काम करती है, और जान बचाती है. यानी ये दावा झूठा है कि वैक्सीन लगवाने से मृत्यु हो जाती है.

2. वैक्सीन लगवाने से आने वाली नस्ल खराब हो जाएगी?

सच्चाई ये है कि किसी भी स्टडी में ये बात सही साबित नहीं हुई है. यानी लोग वैक्सीन ना लगवाएं, इसलिए ऐसी अफ़वाह फैलाई गई है.

पहले भी वैक्सीनेशन पर उड़ाई गई अफवाह

हालांकि ऐसा नहीं है कि पहली बार वैक्सीन को लेकर इस तरह की अफवाह उड़ी है. वैक्सीन को लेकर अफवाहों का अपना एक पुराना इतिहास रहा है. वर्ष 1978 में जब भारत में बड़े पैमाने पर पोलियो का टीका लगाने का काम शुरू हुआ तो एक खास धर्म के लोगों के बीच ये अफवाह फैलाई गई कि उनके बच्चे इससे हमेशा के लिए दिव्यांग हो जाएंगे या बीमार पड़ जाएंगे. इसी तरह की अफ़वाह रोटावायरस के टीकाकरण अभियान के दौरान भी उड़ाई गई थी. तब ऐसा झूठ फैलाया गया कि इस वैक्सीन को लगवाने वाले लोगों की आने वाली नस्ल खराब हो जाएगी. जबकि ऐसा कुछ नहीं था. अब कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर भी लोगों के मन में विश्वास की मात्रा को घटाने का काम किया जा रहा है. हालांकि हमने इस डर को दूर करने के लिए आज कुछ आंकड़े निकाले हैं. जिन्हें आपको बहुत से ध्यान से देखना चाहिए.

अफवाह और अज्ञानता ने ली लोगों की जान

Polio की वैक्सीन आने से पहले दुनियाभर में इससे हर वर्ष 4 लाख लोगों की मौत होती थी. लेकिन अब इससे सिर्फ 22 लोगों की मौत होती है, और ये वैक्सीन की वजह से ही संभव हुआ है. इसी तरह टेटनस की वैक्सीन आने से पहले इस बीमारी से हर साल 2 लाख लोगों की मौत होती थी, और वैक्सीन आने के बाद ये संख्या 25 हजार रह गई. यानी किसी भी बीमारी की वैक्सीन लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण साबित होती है. पूरी दुनिया में इस पर कोई रिसर्च या दस्तावेज मौजूद नहीं है कि किसी भी बीमारी की वैक्सीन एक धर्म को खत्म करने के लिए बनाई गई हो, लेकिन इस तरह बहुत सी रिसर्च हैं जिनमें ये बताया गया है कि अफवाह और अज्ञानता ने हमेशा से कई लोगों की जान ली है. और आज वैक्सीन पर भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. इसलिए हम आपसे यही कहना चाहते हैं कि आपको कोरोना से तो बचना ही है साथ ही अफ़वाह के संक्रमण से भी खुद को बचाना है.

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