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Munger: कोरोना संक्रमण से पूरी दुनिया परेशान है. मुंगेर जिले में भी कोरोना संक्रमण की बेकाबू रफ्तार ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. ऐसे समय में धरहरा प्रखंड का मथुरा गांव कोरोना से जंग में नजीर बन कर उभरा है. कोरोना संक्रमण की पहली लहर हो या अभी चल रही दूसरी लहर, धरहरा प्रखंड के आजीमगंज पंचायत के मथुरा गांव में कोरोना की इंट्री नहीं हुई है. यहां ग्रामीणों को संक्रमण छू भी नहीं सका. दरअसल, इस गांव के लोग सतर्कता और संयम रूपी हथियार से लैस हैं. संयम और सतर्कता से ग्रामीण कोरोना को अब तक हराने में सफल रहे हैं.

जिले में कोरोना संक्रमण को आए तकरीबन 13 महीने गुजरने के बाद भी मथुरा गांव में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है. इसकी खास वजह यह है कि यहां के लोग न तो बेवजह कहीं जाते हैं और न ही बाहर से आने वालों को कोई तरजीह देते हैं. गांव के लोगों ने बैठक कर कड़े नियम बनाएं हैं. लगभग ढाई सौ की आबादी वाले इस गांव से बड़ी संख्या में लोग दूसरे प्रदेशों में रोजी-रोजगार के लिए गए हुए हैं. उनके वापस आने पर उन्हें गांव के बाहर स्कूल में क्वारंटाइन में रहना पड़ता है. बाहर से आने वाले प्रवासी की पहले कोरोना जांच कराई जाती है. तभी गांव में इंट्री मिलती है.

इस नियम के कारण गांव पहली लहर में संक्रमण से अछूता रह गया था. यह नियम अब भी जारी है. वहीं, महिलाओं ने कहा कि ‘हमलोग बाहर से आने वाले लोगों को पहले कोरोना की जांच करने के बाद ही गांव में घुसने देते हैं.’ उन्होंने कहा ‘हम सभी अपने घरों को साथ ही बच्चो को  साफ सुथरा रखते हैं जिसके कारण यह महमारी हमारे गांव में अब तक नहीं पहुंची.’ उन्होंने कहा ‘इस हमारा रोजगार जंगलो से लड़की लाना और पत्तल बना कर बजारों में बेचना है लेकिन इस काल में व्यवसाय पर बहुत असर पड़ा है, हमलोगों की मांग है की सरकार हम लोगों को इस कोरोना काल में साधन मुहैया कराए.’ अन्य महिलाओ ने कहा की ‘हम लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते है और मास्क पहन कर रहते है.’

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प्रखण्ड विकास पदाधिकारी डॉ प्रभात रंजन ने कहा कि ‘कोरोना काल में प्रखंड क्षेत्र में बहुत सारे प्रवासी कामगार आए और गए, लेकिन इस गांव से अबतक एक भी कोरोना संक्रमित नहीं मिलना बड़ी बात है. अन्य गांवो के लोगों को भी इस गांव के लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए. कोविड-19 पार्ट टू में बचाव और सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है.’

वहीं, बता दे कि पिछले साल लॉकडाउन केे दौरान यहां के लोगों ने काफी एहतियात बरती और खुद ही गांव की बैरिकेडिंग कर दी.  इसका नतीजा यह रहा कि पिछले साल भी इस गांव में एक भी कोरोना का मरीज नहीं मिला. इस बार भी कोविड-19 पार्ट टू का पालन लोग बखूबी कर रहे हैं. संक्रमण की लहर कमजोर पडने के बाद भी यहां के लोगों ने बेवजह घर से बाहर नहींं निकलने के नियम का पालन किया. अगर कहीं जाते भी थे तो सावधानी और सतर्कता केे साथ रहते. यही नहीं गांव में आने वाले हर लोगों पर ग्रामीणों की पैनी नजर रहती है और बिना मास्क के गांव में प्रवेश नहीं दिया जाता है.

(इनपुट- प्रशांत कुमार)