उज्जैन। उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय स्थित पंडित जवाहरलाल नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ बिज़नेस मैनेजमेंट (जे.एन.आई.बी.एम.) से डिग्री कोर्स के अलावा व्यवसाय प्रबंध संकाय का शोध केंद्र होने से शोधार्थियों को पीएचडी भी करवाई जाती है। विश्वविद्यालय की 2014 की पीएचडी प्रवेश परीक्षा से 8 परीक्षार्थियों को पीएचडी में प्रवेश प्राप्त हुआ, परंतु संस्थान में प्रोफेसरों के आपसी विवाद के चलते शोधार्थियों का आर. डी. सी. के समक्ष वायवा ना होने से 8 वर्ष से पीएचडी रजिस्ट्रेशन लंबित था।
इसी तरह 2018 के भी 10 शोधार्थियों का पीएचडी में रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद एक सहायक प्राध्यापक द्वारा शोधार्थियों को न स्वीकारने की वजह से उनका मामला भी अटका हुआ था । 2014 से चार कुलपति बदल जाने के बावजूद इन अट्ठारह शोधार्थियों का भविष्य अधर में लटका था। शोधार्थियों ने कई बार कुलपति व कुलसचिव को मामले का निराकरण व जल्द परीक्षा संचालित करने के लिए ज्ञापन दिए थे। विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति डॉ. अखिलेश पांडे को पदभार ग्रहण करने पर जब इस मामले की जानकारी लगी तो उन्होंने तय किया कि इस तरह के सभी मामलों का निराकरण करेंगे।
स्वयं उपस्थित रहकर करवायीं सभी परीक्षाएं
डॉ. पांडे ने पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान में कई बार स्वयं जाकर सभी प्राध्यापकों को एक साथ बिठाकर सभी विवादों का निराकरण करके छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ ना करने की समझाइश दी । इसी के साथ उन्होंने छात्रहित में जल्द ही निपटारा न होने पर सख्त कार्यवाही के भी निर्देश दिए। कुलपति ने कार्यवाही के तहत शोधार्थियों को न स्वीकारने वाले सहायक प्राध्यापक से सभी शोधार्थी हटाकर अन्य गाइड को अलॉट कर दिए । कोर्स वर्क की लंबित परीक्षा करवाकर आर.डी.सी. वायवा भी करवाया गया। इस पूरे घटनाक्रम में कुलपति स्वयं हर परीक्षा में मौजूद रहे ।
शोधार्थियों ने किया सम्मान
विश्वविद्यालय ने 8 वर्ष पुराने इस मामले में कुलपति के प्रयास से अब जाकर शोधार्थियों के पंजीयन पत्र जारी किये हैं । सभी शोधार्थियों ने कुलपति डॉ. पांडेय का आभार माना व उनका सम्मान किया। शोधार्थियों की सहायता करने पर उन्होंने संस्थान के पूर्व डायरेक्टर डॉ. डी. डी. बेदिया का भी आभार प्रकट किया। कमल बंगरिया को भी धन्यवाद प्रकट किया गया। सम्मान करने वालों में राकेश लाल, जूही जोशी, रिंकी प्रसाद, अंकिता शर्मा, हिमांशु वैरागी, पूर्वा डावर, शुचि गुप्ता व नमिता अग्रवाल सहित अन्य शोधार्थी मौजूद थे।